Lady Amitabh: कौन हैं ये नेता जिन्होंने सोनिया गांधी के खिलाफ चुनौती दी? कांग्रेस ने तेलंगाना MLC चुनाव में विजयशांति को उम्मीदवार क्यों बनाया?

विजयाशांति एक प्रसिद्ध अभिनेत्री हैं, जिन्होंने पांच भाषाओं में लगभग 180 फिल्मों में काम किया है। उन्होंने कांग्रेस से विधान परिषद चुनाव में नामांकन भरा है, जहां अन्य उम्मीदवार अद्दांकी दयाकर और केथवथ शंकर नाईक भी शामिल हैं। चुनाव पांच सीटों के लिए हो रहे हैं। विजयाशांति को ‘लेडी अमिताभ’ कहा जाता है और उन्होंने राजनीति में कई दलों से संबद्धता रखी है, जैसे भाजपा, AIADMK, और TRS (अब BRS)। 2023 में वह कांग्रेस में लौट आईं और उन्हें एमएलसी का टिकट मिला है। पार्टी ओबीसी और दलित वोटों को आकर्षित करने की कोशिश कर रही है।

विजयाशांति एक प्रसिद्ध अभिनेत्री हैं, जिन्होंने हिन्दी, तमिल, तेलुगु, मलयालम और कन्नड़ भाषाओं में लगभग 180 फिल्मों में बेहतरीन अभिनय किया है।

तेलंगाना में 20 मार्च को विधान परिषद के चुनाव आयोजित होने जा रहे हैं। कांग्रेस ने तीन उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा है, जिनमें फिल्म अभिनेत्री विजयाशांति, अद्दांकी दयाकर और केथवथ शंकर नाईक शामिल हैं। भारत राष्ट्र समिति (BRS) के चार और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के एक विधान पार्षद का कार्यकाल समाप्त होने के कारण पांच सीटों पर चुनाव हो रहे हैं। कांग्रेस ने अपने चुनावी गठबंधन के तहत सहयोगी भाकपा को एक सीट देने की पेशकश की है, जिस पर भाकपा ने नेल्लिकंती सत्यम को अपना उम्मीदवार घोषित किया है।

सोमवार को कांग्रेस-भाकपा के उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया। सोमवार नामांकन जमा करने का अंतिम दिन था। बीआरएस ने श्रवण दसोजू को अपना उम्मीदवार बनाया है। तेलंगाना की 119 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 65 विधायक हैं, जबकि मुख्य विपक्षी दल बीआरएस के पास 38 विधायक हैं, लेकिन उनमें से 10 विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। विधानसभा में संख्या बल के आधार पर कांग्रेस को चार और बीआरएस को एक सीट जीतने की संभावना है। इस MLC चुनाव में सबसे ज्यादा चर्चा का विषय विजयाशांति का नाम है।

कौन हैं विजयाशांति और ‘लेडी अमिताभ’ क्यों कहलाती हैं?

विजयाशांति एक प्रसिद्ध अभिनेत्री हैं, जिन्होंने हिन्दी, तमिल, तेलुगु, मलयालम और कन्नड़ भाषाओं में लगभग 180 फिल्मों में बेहतरीन अभिनय किया है। फिल्मों में पुलिस अधिकारी की भूमिका निभाने के लिए विजयाशांति को प्रशंसकों के बीच ‘लेडी अमिताभ’ के नाम से जाना जाता है। हालांकि, वह फिल्मों में जितनी सफल रहीं, उतनी राजनीति में सफल नहीं हो पाईं। वह बीआरएस (तब टीआरएस) की ओर से लोकसभा सांसद भी रह चुकी हैं और उन्होंने तेलंगाना राज्य के गठन के लिए एक अलग पार्टी बनाई थी, लेकिन बाद में बीआरएस समेत कई दलों में शामिल रहीं।

कांग्रेस-भाजपा समेत कई दलों से रहा नाता

विजयाशांति ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1990 के दशक के अंत में भाजपा के साथ की थी। हालांकि, 1996 में वह जयललिता के नेतृत्व वाली AIADMK में शामिल हो गईं। उस समय वह जयललिता की करीबी सहयोगी और उनकी पार्टी की स्टार प्रचारकों में से एक थीं। इसके बाद, वह भाजपा में वापस गईं और महिला शाखा की महासचिव के रूप में कार्य किया।

सोनिया के खिलाफ ठोकी थी ताल

1999 के लोकसभा चुनाव में, जब सोनिया गांधी ने कडप्पा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का निर्णय लिया, तब विजयाशांति ने भाजपा के उम्मीदवार के रूप में सोनिया गांधी के खिलाफ ताल ठोकने का ऐलान किया और भाजपा ने उन्हें कडप्पा से चुनावी मैदान में उतारा। हालाँकि, सोनिया गांधी ने अपना फैसला बदलकर कर्नाटक के बेल्लारी सीट से चुनाव लड़ने का निर्णय लिया, जिसके बाद विजयाशांति ने कडप्पा से अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली।

तेलंगाना के लिए बनाई अपनी पार्टी

2005 तक, विजयाशांति ने अपनी ‘तल्ली तेलंगाना पार्टी’ की स्थापना की और तेलंगाना राज्य के लिए संघर्ष करने का संकल्प लिया। हालांकि, जनाधार की कमी के चलते उन्होंने अपनी पार्टी का विलय केसीआर की तेलंगाना राष्ट्र समिति यानी TRS (अब भारत राष्ट्र समिति) में कर दिया और 2009 का लोकसभा चुनाव TRS के तहत मेडक सीट से सफलतापूर्वक लड़ा। BRS के एक नेता ने बताया, “वह हमेशा आगे बढ़कर नेतृत्व करने के लिए जानी जाती हैं। वह तेलंगाना आंदोलन में महिलाओं को शामिल करने वाली प्रमुख व्यक्तियों में से थीं।” 2011 में, वह केसीआर के साथ टीआरएस के उन विधायकों और सांसदों में शामिल थीं जिन्होंने अलग तेलंगाना राज्य के लिए सांसद पद से इस्तीफा दिया था। बाद में, बीआरएस प्रमुख के चंद्रशेखर राव के साथ उनके रिश्ते खराब हो गए। 2013 में, उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया गया।

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इसके बाद वह कांग्रेस में शामिल हो गईं। कांग्रेस ने उन्हें 2014 के लोकसभा चुनावों में मेडक सीट से उम्मीदवार बनाया, लेकिन टीआरएस की लहर में हार गईं। इसके बाद, वह राजनीतिक हाशिये पर चली गईं। 2019 के चुनावों के समय, विजयाशांति ने फिर से राजनीति में सक्रियता दिखाई। तब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने उन्हें पार्टी की चुनाव अभियान समिति का सलाहकार नियुक्त किया। 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान, उन्होंने रंगारेड्डी में एक सार्वजनिक रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना एक आतंकवादी से कर विवाद पैदा कर दिया। हालाँकि, इस घटना के एक साल बाद ही भाजपा ने उनके लिए अपने दरवाजे खोले और वह भाजपा में वापस लौट गईं।

ओबीसी-दलित वोट बैंक पर नजर

2023 के तेलंगाना विधानसभा चुनावों में, विजयाशांति ने फिर से कांग्रेस में शामिल हो गईं। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की उपस्थिति में पार्टी में शामिल होने का निर्णय लिया। अब पार्टी ने उन्हें एमएलसी का टिकट दिया है, जबकि ऐसी खबरें हैं कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के साथ उनके संबंध अच्छे नहीं हैं। तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बी महेश कुमार गौड़ ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया है कि पार्टी ने विजयाशांति को इसलिए चुना क्योंकि वह एक महिला और पिछड़े वर्ग का चेहरा प्रदान करना चाहती थी। पार्टी के दूसरे उम्मीदवार अद्दांकी दयाकर, जो अनुसूचित जाति से हैं, कांग्रेस के मुखर नेता हैं, जबकि शंकर नाईक, जो अनुसूचित जनजाति से आते हैं, कई वर्षों से कांग्रेस के वफादार कार्यकर्ता हैं। इसी बहाने पार्टी ओबीसी और दलित वोटों को साधने की कोशिश कर रही है।

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